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गुजरात: बेमौसम बारिश से फसल नष्ट, किसानों को ₹50,000 प्रति हेक्टेयर मुआवजे की मांग
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संक्षेप
गुजरात: राजकोट जिले में किसानों को बेमौसम बारिश के कारण प्रति हेक्टेयर ₹50,000 की सहायता राशि देने की मांग।
विस्तार
गुजरात: राजकोट जिले में किसानों को बेमौसम बारिश के कारण प्रति हेक्टेयर ₹50,000 की सहायता राशि देने की मांग। “न्याय एवं अधिकार समिति गुजरात” के प्रदेश प्रमुख श्री परसोतमभाई एन. मुंगरा साहेब,सौराष्ट्र ज़ोन के प्रेसीडेंट श्री रेनिशभाई के वकारिया साहेब, राजकोट जिला प्रेसीडेंट श्री विठ्ठलभाई नानजीभाई कानाणी साहेब, जूनागढ़ जिला प्रेसीडेंट श्री चीमनभाई पोपटभाई डोबरिया साहेब, राजकोट जिला वाइस प्रेसीडेंट श्री महेशभाई गोंडलिया साहेब, किसान अग्रणी एवं सामाजिक कार्यकर्ता श्री खोड़ाभाई उंघाड़ (पटेल), राजकोट, जामनगर सामाजिक कार्यकर्ता श्री अरविंदभाई सोजीत्रा साहेब तथा न्याय एवं अधिकार समिति गुजरात की एक बैठक आयोजित की गई। बैठक में गुजरात के किसानों को बेमौसम बारिश से हुए नुकसान के चलते सरकार से यह मांग की गई कि सरकार तत्काल निर्णय लेकर किसानों के खातों में प्रति हेक्टेयर ₹50,000 की सहायता राशि जमा करे। केवल इसी से गुजरात के किसान फिर से खड़े हो सकेंगे। किसानों की खरीफ फसल को भारी नुकसान हुआ है। किसानों की सालभर की मेहनत पर पानी फिर गया है। जगत का तात (किसान) बेबस और निराश हो गया है। कई स्थानों पर फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है। राज्य सरकार को किसानों के कृषि ऋण (फसल ऋण) भी माफ कर देने चाहिए। अगर उद्योगपतियों के करोड़ों रुपये के कर्ज माफ किए जा सकते हैं, तो फिर जगत के तात यानी किसानों के कर्ज क्यों नहीं माफ हो सकते। गुजरात सरकार को किसानों के हित में यह निर्णय शीघ्र लेना चाहिए। मूंगफली के खेत पानी में डूब गए हैं, मूंगफली और पशुचारा दोनों सड़ गए हैं, जिससे मवेशियों के लिए चारा भी नहीं बचा है। किसानों को न्याय मिले, इस उद्देश्य से न्याय एवं अधिकार समिति गुजरात के प्रदेश प्रमुख श्री परसोतमभाई एन. मुंगरा की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई, जिसमें किसानों के हक और न्याय की मांग की गई। किसानों का दर्द यही है कि गुजरात सरकार जल्द से जल्द सहायता दे — इसी उम्मीद से यह विनम्र अपील की गई है। दूसरी बात — उद्योगपति जैसे अंबानी, अदाणी और अन्य बड़ी कंपनियाँ चाहें तो किसानों की मदद कर सकती हैं। उद्योगपतियों को अपने गाँव के किसानों की ऐसी आपदा के समय मदद करनी चाहिए और अनावश्यक खर्च को टालना चाहिए। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने गाँव के किसानों की सहायता करें, क्योंकि किसान है तो सबकुछ है। अगर किसान टूट जाएगा तो खाने के लिए अनाज भी नहीं बचेगा — यह तय है।गुजरात के किसान को फिर से खड़ा करना हमारा पवित्र कर्तव्य है। इसलिए आओ — सरकार और उद्योगपति दोनों मिलकर किसान की सहायता करें और जगत के तात को संभालें।
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