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उत्तर प्रदेश: ग्राहकों के लिए अच्छी खबर,मार्च 2026 तक लागू होगी कॉलर आईडी सुविधा
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संक्षेप
उत्तर प्रदेश: भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने कॉलर आईडी प्रणाली शुरू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
विस्तार
उत्तर प्रदेश: भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने कॉलर आईडी प्रणाली शुरू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन (CNAP) नामक इस सुविधा का परीक्षण वर्तमान में चुनिंदा क्षेत्रों में नेटवर्क ऑपरेटरों द्वारा किया जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, कॉलर आईडी सिस्टम को 31 मार्च,2026 तक पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा। यानी रिलांयस जियो,एयरटेल और वोडाफोन आइडिया (Vi) सहित भारतीय दूरसंचार ऑपरेटरों को मार्च 2026 तक कॉलर नेम प्रेजेंटेशन (CNAP) प्रणाली लागू करनी होगी। रिपोर्ट के मुताबिक,ट्राई ने शुरुआत में इसी साल के अंत तक इसे लागू करने का लक्ष्य रखा था,लेकिन अब इसे तीन महीने बढ़ाकर मार्च 2026 के अंत तक कर दिया गया है। दूरसंचार कंपनियों को पहले ही कम से कम एक सर्कल में CNAP सुविधा शुरू करने के लिए कहा जा चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक,वोडाफोन आइडिया ने हरियाणा में CNAP का पायलट रन शुरू किया है। जियो द्वारा भी जल्द ही इसका ट्रायल रन शुरू कर सकती है। खास बात यह है कि नया कॉलर आईडी सिस्टम शुरुआत में सिर्फ 4G और 5G उपकरणों पर ही उपलब्ध होगा। जो लोग अभी भी 2G नेटवर्क पर निर्भर हैं,वे इसका उपयोग नहीं कर पाएंगे। वर्तमान में कॉलिंग लाइन आइडेंटिफिकेशन फीचर सिर्फ केवल कॉल करने वाले का नंबर दिखाता है। CNAP सुविधा आने के बाद नाम बी दिखेगा। यह एक नेटवर्क-स्तरीय कॉलर आईडी समाधान भी है,इसलिए ऑपरेटर आपस में सूचनाओं का आदान-प्रदान भी कर सकेंगे या कॉल करने वालों की पहचान करने के लिए केंद्रीकृत डेटाबेस का उपयोग कर सकेंगे। CNAP सुविधा स्पैम से निपटने में भी कारगर साबित हो सकता है,क्योंकि उपयोगकर्ताओं को पता चल जाएगा कि उन्हें कॉल करने वाला व्यक्ति कोई व्यक्ति है या कोई व्यवसाय।दूरसंचार नियामक ट्राई में 2022 में इसका सुझाव दिया था कि उपयोगकर्ताओं के पास CNAP में नामांकन का विकल्प होगा,लेकिन अब TRAI सभी के लिए CNAP को सक्षम करने की योजना बना रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक,ट्राई कथित तौर पर एक केंद्रीकृत डेटाबेस बनाने पर विचार कर रहा है जिसकी स्थानीय प्रतियां नेटवर्क ऑपरेटरों द्वारा रखी जाएंगी। CNAP को लागू करने के लिए बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करने और दूरसंचार प्रदाताओं के बीच अधिक डेटा साझाकरण की भी आवश्यकता हो सकती है। उपयोगकर्ताओं के लिए इनकमिंग कॉल की पहचान को आसान बनाना है. इससे स्पैम से निपटने में भी मदद मिल सकती है। साथ ही उपयोगकर्ताओं की ट्रूकॉलर जैसी थर्ड-पार्टी सेवाओं पर निर्भरता खत्म हो जाएगी,जो क्राउड-सोर्स्ड जानकारी पर निर्भर करती हैं। वहीं,CNAP सुविधा कॉलर का नाम उनके KYC रिकॉर्ड के आधार पर दिखाएगा,जो आमतौर पर उस नाम को दर्शाता है जिससे सिम कार्ड खरीदा गया था।
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