-
☰
उत्तर प्रदेश: थाने के बाहर युवक की बेरहम हत्या, उत्तर प्रदेश में ‘जंगल राज’ की तस्वीर
- Photo by :
संक्षेप
उत्तर प्रदेश: गाजियाबाद में कानून-व्यवस्था की पोल उस वक्त खुल गई, जब मुरादनगर थाने के ठीक सामने एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह सनसनीखेज वारदात पुलिस की नाक के नीचे हुई, जिसने प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
विस्तार
उत्तर प्रदेश: गाजियाबाद में कानून-व्यवस्था की पोल उस वक्त खुल गई, जब मुरादनगर थाने के ठीक सामने एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह सनसनीखेज वारदात पुलिस की नाक के नीचे हुई, जिसने प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मृतक रवि शर्मा (28) अपने पिता और भाई के साथ एक मामूली विवाद की शिकायत दर्ज कराने थाने पहुंचा था। विवाद एक कार हटाने को लेकर हुई कहासुनी से शुरू हुआ था। आरोप है कि जिन लोगों के खिलाफ रवि FIR दर्ज कराने जा रहा था, उन्होंने थाने के गेट पर ही उसे घेर लिया और चार गोलियां मारकर उसकी जान ले ली। गोलियां सीने में लगने से रवि की मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस पर लापरवाही का आरोप पुलिस पर जनता का गुस्सा पुलिस का बयान क्या है जंगल राज? निष्कर्ष
परिजनों और प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि वारदात के समय पुलिस मूकदर्शक बनी रही। परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करने के बजाय मोबाइल से वीडियो बनाने में समय बर्बाद किया। गुस्साए परिजनों ने शव को थाने के सामने रखकर प्रदर्शन किया और आरोपियों के एनकाउंटर की मांग की।
इस घटना को लेकर लोगों में आक्रोश देखा गया उत्तर प्रदेश में “जंगल राज” का ताजा उदाहरण बताया। गया, “थाने के सामने हत्या और पुलिस खड़ी देखती रही। इससे बड़ा जंगल राज क्या होगा?” वहीं, कुछ लोगों ने पुलिस सुधार और कठोर कार्रवाई की मांग की।
पुलिस ने बताया कि तीन आरोपियों की पहचान कर ली गई है और उनकी तलाश के लिए टीमें गठित की गई हैं। गाजियाबाद के एसपी ने दावा किया कि जल्द ही सभी आरोपी सलाखों के पीछे होंगे। हालांकि, इस घटना ने पुलिस की कार्यशैली और अपराधियों के बेखौफ रवैये को फिर से सवालों के घेरे में ला दिया है।
जब थाने जैसी जगह, जो नागरिकों की सुरक्षा का प्रतीक होनी चाहिए, वहां हत्या जैसी वारदात हो जाए, तो इसे कानून के राज की विफलता ही कहा जाएगा। यह घटना न केवल गाजियाबाद, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में अपराध के बढ़ते ग्राफ और पुलिस की निष्क्रियता को उजागर करती है।
गाजियाबाद की इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि जब तक पुलिस और प्रशासन अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से नहीं लेगा, तब तक आम नागरिक की जान और सुरक्षा खतरे में रहेगी। सवाल यह है कि ऐसी घटनाओं का जवाबदेह कौन होगा?
गुजरात: एक प्रेमी ने वीडियो बनाकर की आत्महत्या
गुजरात: पुलिसकर्मी ने उड़ाई शराबबंदी कानून की धज्जियाँ
गुजरात: सूरत में एक ही रात में आठ गणेश पंडालों में चोरी
गुजरात: जेल में रहने के बाद भी टिकटॉक स्टार कीर्ति के बर्ताव में नहीं आया बदलाव
उत्तर प्रदेश: योगी के भेष में भिक्षाटन करते पकड़ा गया संदिग्ध युवक