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गुजरात: न्याय एवं अधिकार समिति की जामनगर तहसील उपाध्यक्ष ने बोटाद कड़दा प्रथा के मुद्दे पर दिया बयान
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संक्षेप
गुजरात: न्याय एवं अधिकार समिति की जामनगर तहसील उपाध्यक्ष आशाबेन ए. सोजीतरा ने कहा कि, किसानों के न्याय के लिए बोटाद कड़दा प्रथा के मुद्दे पर जो विवाद हुआ, उसमें कड़दा प्रथा बोटाद मार्केटिंग यार्ड की थी, जिसमें "कड़दा" के नाम पर वर्षों से किसानों की खुली लूट मचाई जा रही थी।
विस्तार
गुजरात: न्याय एवं अधिकार समिति की जामनगर तहसील उपाध्यक्ष आशाबेन ए. सोजीतरा ने कहा कि, किसानों के न्याय के लिए बोटाद कड़दा प्रथा के मुद्दे पर जो विवाद हुआ, उसमें कड़दा प्रथा बोटाद मार्केटिंग यार्ड की थी, जिसमें "कड़दा" के नाम पर वर्षों से किसानों की खुली लूट मचाई जा रही थी। इस प्रथा में लंबे समय से भ्रष्टाचार चलता आ रहा था। इसी के चलते गुजरात के किसानों की मांग थी कि, बोटाद मार्केटिंग यार्ड में कड़दा प्रथा को बंद किया जाए। इस मुद्दे को लेकर हजारों किसान अपनी शिकायत लेकर गए, लेकिन कोई ठोस निर्णय न आने के कारण इस कपास में कड़दा प्रथा को बंद करने की मांग पर एक किसान महापंचायत का आयोजन किया गया ताकि किसानों की समस्या का समाधान निकाला जा सके। इस महापंचायत में हजारों किसान उपस्थित हुए। सभा के दौरान कुछ असामाजिक तत्वों और गुंडों ने, जो किसान विरोधी थे, पुलिस जवानों पर पहले पत्थरबाजी की जिससे कई पुलिसकर्मी घायल हुए। इसके बाद पुलिस ने किसानों पर लाठीचार्ज किया, जिसमें कई निर्दोष किसान घायल हो गए। आम आदमी पार्टी के किसान सेल प्रदेश अध्यक्ष श्री राजुभाई करपडा साहब और आप नेता श्री प्रवीणभाई राम, जो हमेशा किसानों के हक की लड़ाई लड़ते आए हैं, उन्हें इस मामले में जेल में डाल दिया गया है। अब सवाल उठता है — अगर कोई नेता किसानों के अधिकारों के लिए आवाज उठाए, तो क्या उसे जेल में डालना उचित है? सरकार को सोचना चाहिए कि किसानों के नेता को जेल में डालने से उसे क्या हासिल होगा? उल्टा नुकसान ही होगा। लेकिन सरकार इन पर कार्रवाई नहीं करती — यह एक बड़ा सवाल है। गुजरात में पेपर लीक, सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, गरीबी — इन सब पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। अगर गुजरात सरकार को सच में किसानों की चिंता और लगाव है, तो उसे इन दोनों किसान नेताओं को तुरंत जेल से रिहा करना चाहिए। किसानों के हित के लिए लड़ने वाले नेता की आवाज को दबाने के लिए उसे जेल भेजना कहाँ तक उचित है? इसलिए गुजरात सरकार से हमारी विनम्र प्रार्थना है कि इन दोनों नेताओं को तुरंत जेल से मुक्त किया जाए।
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने हवा में आंसू गैस के गोले छोड़े और हड़दड़ गाँव में भारी लाठीचार्ज किया गया, जिससे कई लोग बुरी तरह घायल हुए।
यह भी कहा गया कि पुलिस ने घरों में घुसकर निर्दोष लोगों पर भी लाठियाँ बरसाईं।
यह किसानों का गहरा अपमान है, क्योंकि ये दोनों नेता हमेशा किसानों के न्याय और अधिकार के लिए संघर्ष करते रहे हैं।
गुजरात के माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्रभाई पटेल की सरकार को इन दोनों किसान नेताओं को तुरंत जेल से रिहा करना चाहिए। किसानों के नेता को जेल में डालना एक तरह की तानाशाही और अंग्रेजों जैसी हुकूमत का उदाहरण है।
अगर सरकार सच में “भ्रष्टाचार मुक्त गुजरात” बनाना चाहती है, तो उसे शराब माफिया, गुंडे, हत्यारे, खनन माफिया, भ्रष्ट अधिकारी, भू-माफिया, सरकारी जमीन हड़पने वाले, महिला उत्पीड़न करने वाले, बैंक घोटालेबाज, गौचर जमीन खाने वाले, और नकली दवाइयाँ–इंजेक्शन बेचने वालों पर कार्रवाई करनी चाहिए।
शहरों और गाँवों में दिनदहाड़े हत्या, लूटपाट, पुल–डैम–ब्रिज गिरने से सैकड़ों मौतें हो जाती हैं, लेकिन भ्रष्टाचार के मामलों में सरकार कोई कदम नहीं उठाती।
गांवों में हजारों लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन जी रहे हैं, जिनमें अधिकतर किसान हैं। किसानों को व्यापारियों ने खुलकर लूटा है — बाजार में तौल–माप में धांधली, कपास में कड़दा प्रथा, मूंगफली में 1–2 किलो तक कम तौल… ऐसी स्थितियों में किसान मजबूर है।
मुख्यमंत्री साहब, आप स्वयं भी किसान हैं —
ये दोनों नेता न तो आतंकवादी हैं, न हत्यारे, न शराब माफिया, न भ्रष्टाचारी।
वे निर्भीक किसान नेता हैं, जो गुजरात की जनता और किसानों की आवाज बनकर अन्याय के खिलाफ लड़ रहे हैं।
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